औरैया के कंचौसी गांव में पिछले 12 दिनों से मोरों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अब तक लगभग 50 राष्ट्रीय पक्षियों (मोरों) की मृत्यु हो चुकी है। गुरुवार को भी 2 और मोरों की मौत हुई और 5 मोर बीमार पाए गए। गांव में अब बहुत कम मोर बचे हैं और ग्रामीणों को चिंता है कि कुछ दिनों में एक भी मोर जीवित नहीं बचेगा।
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पशु चिकित्सक विभाग को इसकी सूचना दी। चिकित्सकों ने बीमार मोरों का इलाज शुरू किया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पेड़ अब वीरान दिखाई दे रहे हैं, जहां पहले मोरों का झुंड बैठा रहता था, वे पेड़ अब खाली हैं।

डॉक्टर अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि घायल मोरों का इलाज किया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। मृत मोरों के सैंपल बरेली की आईआरआई लैब भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का असली कारण पता चल सकेगा। तब तक बीमार मोरों को बचाने की कोशिश जारी है।
गांव में क्वारंटाइन सेंटर भी स्थापित किया गया है, ताकि बीमार मोरों को अलग रखकर उनका बेहतर इलाज किया जा सके। इलाज के दौरान बजरंग दल के सत्यम गुप्ता, शिवम् ठाकुर, बाउआ ठाकुर, लल्लू, कन्हैया, मखलू, शानदीव, छोटू और अन्य कार्यकर्ता डॉक्टरों के साथ मौजूद रहे।
पशु चिकित्सा विभाग और स्थानीय संगठन लगातार गांव में निगरानी कर रहे हैं। मोरों की मौत का कारण जानने के लिए जांच जारी है और सभी की निगाहें बरेली लैब की रिपोर्ट पर टिकी हैं।